पर्यावरण चिंतन की अग्रणी कवियित्री: निर्मला पुतुल
Keywords:
पारिस्थितिकी, साहचर्य, ब्याहना, आधुनिकीकरण, मशीनीकरण, खिलखिलाहट, उपभोक्तावादी, विहंगम इत्यादि।
Abstract
निर्मला पुतुल आदिवासी समाज की आवाज हंै। वे अपने को खुद प्रश्ति मानती हैं। इसलिए उनकी कविताओं में पारिस्थितिक चित्रण सबसे प्रमुख है। बढती सौन्दर्य से आज घटती सौन्दर्य की ओर जा रही अपनी माँ प्रश्ति की इस दुरवस्था के प्रति वे अधिक चिंतित है। इसलिए वे अपनी रचनाओं में प्रश्ति चित्रण को प्रश्ति संरक्षण के साथ जोड़ने का प्रयास किया है जिसमें वे सफल भी हुए हैं। जंगली इलाकों में पत्नी बढी पुतुलजी ने अपनी कविताओं में प्रश्ति सौन्दर्य के विभिन्न तत्त्वों का सूक्ष्म निरीक्षण किया है। उसकी प्रतिध्वनि पाठकों के हृदय में अपनी-सी एक अनुभूति प्रदान कर देती है। उनकी कविताओं में व्याप्त प्रश्ति चित्रण को मुख्यतः दो बिन्दुओं में जोड़ सकते हैं- प्रश्ति सौन्दर्य एवं प्रश्ति के साथ मानव की तुलना।
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Published
2025-08-05
How to Cite
रायप., & प्रका‛ाज. (2025). पर्यावरण चिंतन की अग्रणी कवियित्री: निर्मला पुतुल. Humanities and Development, 20(02), 12-17. https://doi.org/10.61410/had.v20i2.234
Section
Articles