नरेन्द्र कोहली के उपन्यासों में नारी पात्रों की युगीन सार्थकता

  • निशान्त सिंह शोधछात्र-सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, सिद्धार्थनगर
  • चन्द्रेश्वर पाण्डेय* *एसो.प्रोफे. एवं अध्यक्ष: हिन्दी विभाग एम.एल.के. पी.जी. कॉलेज, बलरामपुर

Abstract

भारतीय समाज में नारी को देवी अर्द्धांगिनी, भार्या, सहधर्मिणी, गृहलक्ष्मी, रानी, पटरानी आदि अनेक विशेषणों से सुसज्जित किया है। भारतीय समाज में पत्नी का बड़ा ही उच्च तथा आदर्श स्थान है। वेदांे, पुराणों में पत्नी को गृहसाम्राज्ञी कहा गया है। किन्तु वर्तमान में नारी या पत्नी की वास्तविक स्थिति इससे भिन्न है। नारी को युगों से ही दासी रूप में रखा जाता रहा है। गृहसाम्राज्ञी तथा गृहलक्ष्मी का रूप तो बहुत कम को मिलता है; विशेषकर ‘महाभारतकाल’ में। आधुनिक युग में समाज सुधारकों का ही नहीं साहित्यकारों का भी ध्यान इस ओर गया है कि समाज में नारी की वास्तविक स्थिति क्या है और क्या होनी चाहिए। युग-युग से पीड़ित व प्रताड़ित नारी-जीवन के विभिन्न पहलुओं का चित्रण ‘महासमर’ के लेखक नरेन्द्र कोहली ने बड़ी संवेदनशीलता से किया है।

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Published
2022-06-06
How to Cite
सिंहन., & पाण्डेय*च. (2022). नरेन्द्र कोहली के उपन्यासों में नारी पात्रों की युगीन सार्थकता. Humanities and Development, 17(1), 93-99. https://doi.org/10.61410/had.v17i1.52