आश्रम पद्धति विद्यालय, राजकीय विद्यालय और अनुदानित विद्यालयों के छात्राओं में आत्म प्रत्यय:एक तुलनात्मक अध्ययन
Abstract
समाज कल्याण विभाग की स्थापना वर्ष 1955 में हुयी। सामाजिक-आर्थिक एवं अन्य स्तर से निर्धन दलित व अन्य वर्गो को कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से समाज की मुख्य धारा में लाने का दायित्व सरकार द्वारा इस विभाग को सौंपा गया। 1955 में अस्तित्व में आकर यह विभाग समय-समय पर परिवर्तित एवं परिवर्धित होकर वर्ष 1995-96 में समाज कल्याण के नाम से अस्तित्व में आया। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इसका मूल उद्देश्य समाज के निर्धन वर्गो के हितार्थ कल्याणकारी योजनाओं को लाकर उन्हें लाभान्वित करना होता है जिससे वह एक सम्मानित नागरिक के रूप में अपना जीवन-यापन कर सकें। समाज को प्रगति एवं विकासोन्मुखी बनाने में शिक्षा की अहम भूमिका होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग ने एक योजना बनाई। इसके अन्तर्गत आश्रम पद्धति विद्यालय की स्थापना वर्ष 1975 में की गई जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में ऐसे निर्धन परिवारों के छात्रों को शिक्षित एवं संस्कारित करना होता है जो परिवार अपने बच्चों का भरण पोषण एवं शिक्षा दिलाने में असमर्थ होते हैं।