शुंग कालीन धार्मिक जीवन

  • दलजीत . शोधार्थी: प्राचीन इतिहास का.सु. साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय अयोध्या
  • उपमा वर्मा* *प्रो. एवं अध्यक्ष: प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग का.सु. साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय अयोध्या

Abstract

शुंग राजाओं का शासन काल वैदिक या ब्राह्मण धर्म के पुनर्जागरण का काल माना जाता है। मौर्य काल की समाप्ति और शुंग वंश की स्थापना के साथ ही सर्वप्रथम राजनीतिक परिवर्तन के साथ ही धार्मिक परिवर्तन हुआ। पाणिनि ने शुंगों को भारद्वाज गोत्र का ब्राह्मण बतलाया है। डॉ. के. पी. जायसवाल भी इस मत से सहमत हैं।1 उनके अनुसार शुंग ब्राह्मण थे और धार्मिक जगत में उनका प्रभुत्व अधिक था। इस काल में ब्राह्मण धर्म को राजकीय संरक्षण मिलने से वैदिक धर्म एवं यज्ञों की प्रभुता स्थापित हो गयी। ब्राह्मण धर्म के अनुसार देवी-देवताओं की उपासना शुंग शासन काल में बड़ी दृढ़ता के साथ किया जाने लगा। ब्राह्मण को वैदिक धर्म का विशेषज्ञ माना जाता था इसीलिए वे धार्मिक कार्यों के केन्द्र बन गये।2 उपनिषद् की रचना (लगभग 800 से 400 ई. पूर्व) के तत्काल बाद ब्राह्मण धर्म ने अपना अभिलाक्षणिक रूप ग्रहण कर लिया था।3 लेकिन सैद्धान्तिक दृष्टि से वैदिक धर्म को इसका आधार कहा जाता था, परन्तु एक लम्बे और निरन्तर विकासमान सांस्कृतिक सम्मिश्रण का यह एक कारण मात्र था। वैदिक या ब्राह्मण धर्म असंख्य धार्मिक विश्वासों, पन्थों, रिवाजों तथा कर्मकाण्डों का समुच्चय है। दो प्रमुख वैदिक देवताओं विष्णु और नारायण को माना जाता है।

Downloads

Download data is not yet available.
Published
2022-12-08
How to Cite
.द., & वर्मा*उ. (2022). शुंग कालीन धार्मिक जीवन. Humanities and Development, 17(2), 33-37. https://doi.org/10.61410/had.v17i2.65